Spiritual poetry ( Ramayan )
✵✵✵✵✵✵✵✵✵✵✵✵
14 वर्ष वनवास के काटे है प्रभु श्रीराम ने
भार्या और भ्रातृ साथ में चल दिए वचन को मानने
मखमल के विस्तर पर सोये आज नंगे पावं है
समय ने है खेल रचाया कैकेयी से वरदान मंगाया
मुकुट दो तुम भरत को, वनवास दो तुम राम को
धर्मसंकट में पड़े है दसरथ, वरदान दूँ या प्राण दूँ
वचन देकर प्राण दूँ या बिन वचन के आन दूँ
चारो भाई बंधे है भ्रात प्रेम की डोर से
लंकापति रावण है आया, महात्मा के भेष में
हरण करके वैदेही का ले गया अपने देश में
वन वन भटकते है प्रभु जानकी की खोज में
सबरी के जूठे बेर खाकर, शखा बनाकर सुग्रीव को
रणक्षेत्र में आये हैं सब मारने लंकेश को
संहार करके राक्षसों का वापस लिया वैदेही को
सन्देह कर प्रजा ने पवित्र वैदेही का अपमान किया
पुनः वन भटकने का मानो भगवती को श्राप दिया
दो सुत जाये माता ने आश्रम में , उनको लव कुश नाम दिया
दोनों पुत्रों ने रामायण का घर घर जाकर गान किया
प्रजा बन गई पत्थर फिर से माता पर फिर सन्देह किया
Bhut sundar lines h🙏
जवाब देंहटाएंMarvellous 😇
जवाब देंहटाएं